पदबंध

 


कक्षा-IX में आपको 'शब्द और पद' के बारे में बताते हुए यह कहा गया था कि 'शब्द' की सत्ता वाक्य से बाहर होती है। अतः 'शब्द' भाषा की स्वतंत्र इकाई है और 'शब्द' जब वाक्य में आ जाता है तब उसे शब्द नहीं कहते, 'पद' कहते हैं। वाक्य में प्रयुक्त शब्द को 'पद' इसलिए कहते हैं क्योंकि वाक्य में आकर यह वाक्य के नियमों में बँध जाता है तथा कोई-न-कोई 'प्रकार्य' (function) करने लगता है। उदाहरण के लिए 'मीरा' और 'सुरेश' दोनों 'व्यक्तिवाचक संज्ञा' शब्द हैं, पर वाक्य में वे क्या प्रकार्य करते हैं, इसके आधार पर उनके 'पद' का

निर्धारण किया जाता है; जैसे-

1. मीरा ने सुरेश को किताब दी।

2. सुरेश ने मीरा को किताब दी।

वाक्य-1 में 'मीरा' संज्ञा 'कर्ता' का कार्य कर रही है तथा 'सुरेश' संज्ञा 'अप्रत्यक्ष कर्म' का जबकि वाक्य-2 में 'सुरेश' 'कर्ता' का कार्य कर रहा है और 'मीरा' 'अप्रत्यक्ष कर्म' का। अतः ध्यान रखिए, वाक्य में 'पद' का महत्व उसके 'प्रकार्य' के कारण होता है।

पदबंध

'पदबंध' शब्द दो शब्दों- 'पद' तथा 'बंध' से मिलकर बना है। 'पद' का अर्थ आप समझ ही चुके हैं। 'बंध' शब्द का अर्थ है-'बँधा हुआ' या बंधन युक्त'। वास्तव में 'पदबंध' के अंतर्गत एक से अधिक पद एक साथ बँध कर या बंधन युक्त होकर आते हैं और वही प्रकार्य करते हैं जो प्रकार्य किसी एक पद द्वारा किया जा रहा था। इस बात को समझने के लिए निम्नलिखित वाक्यों पर ध्यान दीजिए-

4. बच्चा पका केला खा रहा है।

5. बच्चा मीठा पका केला खा रहा है।

इसका अर्थ यही है कि 'पका केला' तथा 'मीठा पका केला' भी वही प्रकार्य कर रहे हैं जो वाक्य 1 में 'केला'

पद कर रहा था।

इस तरह आपने देखा कि कोई भी 'शब्द' वाक्य में आकर इसलिए 'पद' कहलाता है क्योंकि वह कोई-न-कोई प्रकार्य करता है। अब यदि वही प्रकार्य 'एक से अधिक पदों का समूह या बंध करता है तो उसे 'पदबंध' कहते हैं।

परिभाषा

पदों के उस बंध या समूह को 'पदबंध' कहते हैं, जो वाक्य में वही प्रकार्य करता है जो प्रकार्य किसी एक पद के द्वारा किया जा रहा था।

पदबंध: भेद-प्रभेद

वाक्य में मुख्य रूप से पाँच प्रकार के पदबंध आते हैं-

1. संज्ञा पदबंध

2. सर्वनाम पदबंध

3. विशेषण पदबंध

4. क्रिया पदबंध

5. क्रियाविशेषण पदबंध

1. संज्ञा पदबंध

जो पदबंध वाक्य में 'संज्ञा' पद के स्थान पर आ सकते हैं, 'संज्ञा पदबंध' कहे जाते हैं।

इसका अर्थ यही है कि 'संज्ञा पदबंध' वाक्य में वही प्रकार्य करता है, जो प्रकार्य किसी 'संज्ञा पद' के द्वारा किया जाता है। देखिए, निम्नलिखित उदाहरण-

2. सर्वनाम पदबंध

वाक्य के अंतर्गत जब एक से अधिक पद मिलकर सर्वनाम पद का कार्य करते हैं तो उन्हें सर्वनाम पदबंध कहते हैं।
इसका तात्पर्य यह है कि सर्वनाम पदबंध वाक्य में वही प्रकार्य करता है, जो प्रकार्य किसी सर्वनाम पद के द्वारा किया जाता है। देखिए, निम्नलिखित उदाहरण -
आपने देखा कि संज्ञा पदबंध की तरह 'सर्वनाम पद' को 'सर्वनाम पदबंध' बनाने का कार्य भी विशेषण पद/पदबंधों द्वारा ही किया जाता है।
शिक्षण निर्देशः संरचना एवं प्रकार्य की दृष्टि से संज्ञा पदबंध एवं सर्वनाम पदबंध समान होते हैं। अधिकतर व्याकरणाचार्य भी आधुनिक भाषा विज्ञान की मान्यताओं के अनुरूप सर्वनाम पदबंध को संज्ञा पदबंध के रूप में ही चिहनित करते हैं। किंतु गत वर्ष के प्रश्न-पत्रों में सर्वनाम पदबंध का स्वतंत्र अस्तित्व दृष्टिगत हुआ है। अतः इसे ध्यान में रखकर यहाँ सर्वनाम पदबंध का वर्णन किया गया है।

3. विशेषण पदबंध

संज्ञा पदबंध की रचना पर ध्यान दीजिए, संज्ञा पदबंध में से यदि 'संज्ञा पद' को हटा दें तो जो शेष बचता है वह 'विशेषण पद' होता है। जैसे-छोटा बच्चा बहुत बीमार है' वाक्य में 'छोटा बच्चा' संज्ञा पदबंध है। इसमें से यदि 'बच्चा' संज्ञा पद को हटा देते हैं तो 'छोटा' विशेषण पद शेष रह जाता है।
इस तरह-
वाक्य में संज्ञा य सर्वनाम पदों की विशेषता जब अकेला एक विशेषण पद बताता है तब वह विशेषण पद कहलाता है, लेकिन जब यही कार्य 'विशेषणों के समूह या बंध' द्वारा किया जाता है तो उस पदबंध को विशेषण पदबंध कहते हैं; जैसे-
अतः विशेषण पदबंध भी वाक्य में वही कार्य करते हैं जो कार्य अकेला 'विशेषण पद' करता है।

4. क्रिया पदबंध

कोई भी 'क्रिया' शब्द जब वाक्य में प्रयुक्त होता है तब उसमें 'सहायक क्रिया' (काल, पक्ष, वृत्ति, वाच्य, लिंग, वचन आदि) के प्रत्यय जुड़ते हैं। इस तरह 'मुख्य क्रिया' तथा 'सहायक क्रिया' से युक्त पूरी रचना को क्रिया पदबंध ही कहते हैं। अतः वाक्य में प्रयुक्त 'क्रिया' सदैव पदबंध के रूप में ही होती है। देखिए, क्रिया पदबंध के कुछ उदाहरण-
1. बच्चे मैदान में दौड रहे हैं।
2. मैं रोज़ फ़िल्म देखने जाया करता था
3. माता जी से खाना नहीं बनाया जाता।
4. वह अकसर फ़ोन कर लिया करती है।

5. क्रियाविशेषण पदबंध

आप यह जानते हैं कि वाक्य में प्रयुक्त होकर 'क्रियाविशेषण पद' क्रिया की विशेषता बताने का कार्य करते हैं। यदि किसी अकेले 'क्रियाविशेषण पद' के स्थान पर एक से अधिक क्रियाविशेषण पद मिलकर 'पदबंध' के रूप में आते हैं और क्रिया की विशेषता बताने का कार्य करते हैं तो उस पदबंध को क्रियाविशेषण पदबंध कहा जाता है।

अतः वह 'पदबंध' जो 'क्रियाविशेषण पद' के स्थान पर प्रयुक्त होकर वही कार्य करता है जो अकेला एक 'क्रियाविशेषण पद' कर रहा था तब उस पदबंध को 'क्रियाविशेषण पदबंध' कहते हैं।
देखिए उदाहरण-

ध्यान देने योग्य बातें

  • वाक्य में प्रयुक्त शब्द इसलिए 'पद' कहलाते हैं क्योंकि वे वाक्य में जाकर कोई-न-कोई प्रकार्य करते हैं।
  • वाक्य के किसी एक पद के स्थान पर यदि एक से अधिक पदों का समूह वही कार्य करे जो अकेला एक पद कर रहा था तो पदों के ऐसे समूह को 'पदबंध' कहते हैं।
  • पदों का ऐसा बंध या समूह जो वाक्य में 'संज्ञा पद' के स्थान पर प्रयुक्त होकर वही कार्य करता है जो अकेला एक 'संज्ञा पद' कर रहा था तो 'पदों के उस 'बंध' को 'संज्ञा पदबंध' कहते हैं।
  • संज्ञा पदबंध की रचना विशेषण पदों के योग से होती है।
  • जो पदबंध वाक्य में सर्वनाम पद का प्रकार्य करते हैं, उन्हें सर्वनाम पदबंध कहते हैं।
  • पदों का ऐसा बंध जो किसी विशेषण पद के स्थान पर प्रयुक्त होकर वही कार्य करता है जो उस अकेले विशेषण पद द्वारा किया जा रहा था तो उसे 'विशेषण पदबंध' कहते हैं।
  • वाक्य में प्रयुक्त क्रिया हमेशा 'पदबंध' के रूप में ही होती है, अतः उसे 'क्रिया पदबंध' ही कहा जाता है।
  • क्रियाविशेषण पद को जो पदबंध स्थानापन्न करके उसी कार्य को करता है. जिसे अकेला 'क्रियाविशेषण
  • पद' कर रहा था तो उसे 'क्रियाविशेषण पदबंध' कहते हैं।

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