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समास (Compound)


समास (Compound)

समास का शाब्दिक अर्थ जोडना या मिलाना। यह भाषा की विशेषता है कि वह विभिन्न रूपों को जोड़कर नए-नए शब्दों की रचना करती रहती है। जिस प्रकार किसी शब्द में प्रत्यय या उपसर्ग लगाकर नए शब्द बनते हैं, उसी प्रकार दो या दो से अधिक शब्दों के मेल से भी नए शब्द बनते हैं। शब्द निर्माण की इस विधि को समास कहा जाता है।

1. समास की परिभाषा

'समास' वह शब्द रचना है जिसमें अर्थ की दृष्टि से परस्पर स्वतंत्र संबंध रखने वाले दो या दो से अधिक शब्द मिलकर किसी अन्य स्वतंत्र शब्द की रचना करते हैं।'

समास तभी बनता है जब दोनों या सभी पद सार्थक हों।

सामासिक शब्द में आये दो पदों में पहले पद को पूर्वपद' तथा दूसरे पद को 'उत्तरपद' कहते हैं।

समास प्रक्रिया से बने पद को 'समस्तपद' कहते हैं।

'समस्तपद' के दोनों पदों को अलग-अलग करने की प्रक्रिया को 'समास-विग्रह' कहते हैं,

2. समास के भेद

समास छह प्रकार के होते हैं-

1. अव्ययी भाव समास

2 तत्पुरुष समास

3 कर्मधारय समास

4 द्विगु समास

5. द्वंद्व समास

6 बहुब्रीहि समास'

1. अव्ययी भाव समास जिस समास का पहला पद (पूर्वपद) अव्यय तथा प्रधान हो, उसे अव्ययीभाव समास कहते हैं, जैसे-

पहचान --  पहला पद अनु, आ. प्रति, भर, यथा, आदि होता है।

पूर्वपद – अव्यय + उत्तरपद = समस्तपद – विग्रह

 प्रति + दिन = प्रतिदिन – प्रत्येक दिन

 आ + जन्म = आजन्म – जन्म से लेकर

 यथा + संभव = यथासंभव – जैसा संभव हो 

 अनु + रूप = अनुरूप – रूप के योग्य 

 भर + पेट = भरपेट – पेट भर के

 प्रति + कूल = प्रतिकूल – इच्छा के विरुद्ध








पदबंध

 


कक्षा-IX में आपको 'शब्द और पद' के बारे में बताते हुए यह कहा गया था कि 'शब्द' की सत्ता वाक्य से बाहर होती है। अतः 'शब्द' भाषा की स्वतंत्र इकाई है और 'शब्द' जब वाक्य में आ जाता है तब उसे शब्द नहीं कहते, 'पद' कहते हैं। वाक्य में प्रयुक्त शब्द को 'पद' इसलिए कहते हैं क्योंकि वाक्य में आकर यह वाक्य के नियमों में बँध जाता है तथा कोई-न-कोई 'प्रकार्य' (function) करने लगता है। उदाहरण के लिए 'मीरा' और 'सुरेश' दोनों 'व्यक्तिवाचक संज्ञा' शब्द हैं, पर वाक्य में वे क्या प्रकार्य करते हैं, इसके आधार पर उनके 'पद' का

निर्धारण किया जाता है; जैसे-

1. मीरा ने सुरेश को किताब दी।

2. सुरेश ने मीरा को किताब दी।

वाक्य-1 में 'मीरा' संज्ञा 'कर्ता' का कार्य कर रही है तथा 'सुरेश' संज्ञा 'अप्रत्यक्ष कर्म' का जबकि वाक्य-2 में 'सुरेश' 'कर्ता' का कार्य कर रहा है और 'मीरा' 'अप्रत्यक्ष कर्म' का। अतः ध्यान रखिए, वाक्य में 'पद' का महत्व उसके 'प्रकार्य' के कारण होता है।

पदबंध

'पदबंध' शब्द दो शब्दों- 'पद' तथा 'बंध' से मिलकर बना है। 'पद' का अर्थ आप समझ ही चुके हैं। 'बंध' शब्द का अर्थ है-'बँधा हुआ' या बंधन युक्त'। वास्तव में 'पदबंध' के अंतर्गत एक से अधिक पद एक साथ बँध कर या बंधन युक्त होकर आते हैं और वही प्रकार्य करते हैं जो प्रकार्य किसी एक पद द्वारा किया जा रहा था। इस बात को समझने के लिए निम्नलिखित वाक्यों पर ध्यान दीजिए-

4. बच्चा पका केला खा रहा है।

5. बच्चा मीठा पका केला खा रहा है।

इसका अर्थ यही है कि 'पका केला' तथा 'मीठा पका केला' भी वही प्रकार्य कर रहे हैं जो वाक्य 1 में 'केला'

पद कर रहा था।

इस तरह आपने देखा कि कोई भी 'शब्द' वाक्य में आकर इसलिए 'पद' कहलाता है क्योंकि वह कोई-न-कोई प्रकार्य करता है। अब यदि वही प्रकार्य 'एक से अधिक पदों का समूह या बंध करता है तो उसे 'पदबंध' कहते हैं।

परिभाषा

पदों के उस बंध या समूह को 'पदबंध' कहते हैं, जो वाक्य में वही प्रकार्य करता है जो प्रकार्य किसी एक पद के द्वारा किया जा रहा था।

पदबंध: भेद-प्रभेद

वाक्य में मुख्य रूप से पाँच प्रकार के पदबंध आते हैं-

1. संज्ञा पदबंध

2. सर्वनाम पदबंध

3. विशेषण पदबंध

4. क्रिया पदबंध

5. क्रियाविशेषण पदबंध

1. संज्ञा पदबंध

जो पदबंध वाक्य में 'संज्ञा' पद के स्थान पर आ सकते हैं, 'संज्ञा पदबंध' कहे जाते हैं।

इसका अर्थ यही है कि 'संज्ञा पदबंध' वाक्य में वही प्रकार्य करता है, जो प्रकार्य किसी 'संज्ञा पद' के द्वारा किया जाता है। देखिए, निम्नलिखित उदाहरण-

2. सर्वनाम पदबंध

वाक्य के अंतर्गत जब एक से अधिक पद मिलकर सर्वनाम पद का कार्य करते हैं तो उन्हें सर्वनाम पदबंध कहते हैं।
इसका तात्पर्य यह है कि सर्वनाम पदबंध वाक्य में वही प्रकार्य करता है, जो प्रकार्य किसी सर्वनाम पद के द्वारा किया जाता है। देखिए, निम्नलिखित उदाहरण -
आपने देखा कि संज्ञा पदबंध की तरह 'सर्वनाम पद' को 'सर्वनाम पदबंध' बनाने का कार्य भी विशेषण पद/पदबंधों द्वारा ही किया जाता है।
शिक्षण निर्देशः संरचना एवं प्रकार्य की दृष्टि से संज्ञा पदबंध एवं सर्वनाम पदबंध समान होते हैं। अधिकतर व्याकरणाचार्य भी आधुनिक भाषा विज्ञान की मान्यताओं के अनुरूप सर्वनाम पदबंध को संज्ञा पदबंध के रूप में ही चिहनित करते हैं। किंतु गत वर्ष के प्रश्न-पत्रों में सर्वनाम पदबंध का स्वतंत्र अस्तित्व दृष्टिगत हुआ है। अतः इसे ध्यान में रखकर यहाँ सर्वनाम पदबंध का वर्णन किया गया है।

3. विशेषण पदबंध

संज्ञा पदबंध की रचना पर ध्यान दीजिए, संज्ञा पदबंध में से यदि 'संज्ञा पद' को हटा दें तो जो शेष बचता है वह 'विशेषण पद' होता है। जैसे-छोटा बच्चा बहुत बीमार है' वाक्य में 'छोटा बच्चा' संज्ञा पदबंध है। इसमें से यदि 'बच्चा' संज्ञा पद को हटा देते हैं तो 'छोटा' विशेषण पद शेष रह जाता है।
इस तरह-
वाक्य में संज्ञा य सर्वनाम पदों की विशेषता जब अकेला एक विशेषण पद बताता है तब वह विशेषण पद कहलाता है, लेकिन जब यही कार्य 'विशेषणों के समूह या बंध' द्वारा किया जाता है तो उस पदबंध को विशेषण पदबंध कहते हैं; जैसे-
अतः विशेषण पदबंध भी वाक्य में वही कार्य करते हैं जो कार्य अकेला 'विशेषण पद' करता है।

4. क्रिया पदबंध

कोई भी 'क्रिया' शब्द जब वाक्य में प्रयुक्त होता है तब उसमें 'सहायक क्रिया' (काल, पक्ष, वृत्ति, वाच्य, लिंग, वचन आदि) के प्रत्यय जुड़ते हैं। इस तरह 'मुख्य क्रिया' तथा 'सहायक क्रिया' से युक्त पूरी रचना को क्रिया पदबंध ही कहते हैं। अतः वाक्य में प्रयुक्त 'क्रिया' सदैव पदबंध के रूप में ही होती है। देखिए, क्रिया पदबंध के कुछ उदाहरण-
1. बच्चे मैदान में दौड रहे हैं।
2. मैं रोज़ फ़िल्म देखने जाया करता था
3. माता जी से खाना नहीं बनाया जाता।
4. वह अकसर फ़ोन कर लिया करती है।

5. क्रियाविशेषण पदबंध

आप यह जानते हैं कि वाक्य में प्रयुक्त होकर 'क्रियाविशेषण पद' क्रिया की विशेषता बताने का कार्य करते हैं। यदि किसी अकेले 'क्रियाविशेषण पद' के स्थान पर एक से अधिक क्रियाविशेषण पद मिलकर 'पदबंध' के रूप में आते हैं और क्रिया की विशेषता बताने का कार्य करते हैं तो उस पदबंध को क्रियाविशेषण पदबंध कहा जाता है।

अतः वह 'पदबंध' जो 'क्रियाविशेषण पद' के स्थान पर प्रयुक्त होकर वही कार्य करता है जो अकेला एक 'क्रियाविशेषण पद' कर रहा था तब उस पदबंध को 'क्रियाविशेषण पदबंध' कहते हैं।
देखिए उदाहरण-

ध्यान देने योग्य बातें

  • वाक्य में प्रयुक्त शब्द इसलिए 'पद' कहलाते हैं क्योंकि वे वाक्य में जाकर कोई-न-कोई प्रकार्य करते हैं।
  • वाक्य के किसी एक पद के स्थान पर यदि एक से अधिक पदों का समूह वही कार्य करे जो अकेला एक पद कर रहा था तो पदों के ऐसे समूह को 'पदबंध' कहते हैं।
  • पदों का ऐसा बंध या समूह जो वाक्य में 'संज्ञा पद' के स्थान पर प्रयुक्त होकर वही कार्य करता है जो अकेला एक 'संज्ञा पद' कर रहा था तो 'पदों के उस 'बंध' को 'संज्ञा पदबंध' कहते हैं।
  • संज्ञा पदबंध की रचना विशेषण पदों के योग से होती है।
  • जो पदबंध वाक्य में सर्वनाम पद का प्रकार्य करते हैं, उन्हें सर्वनाम पदबंध कहते हैं।
  • पदों का ऐसा बंध जो किसी विशेषण पद के स्थान पर प्रयुक्त होकर वही कार्य करता है जो उस अकेले विशेषण पद द्वारा किया जा रहा था तो उसे 'विशेषण पदबंध' कहते हैं।
  • वाक्य में प्रयुक्त क्रिया हमेशा 'पदबंध' के रूप में ही होती है, अतः उसे 'क्रिया पदबंध' ही कहा जाता है।
  • क्रियाविशेषण पद को जो पदबंध स्थानापन्न करके उसी कार्य को करता है. जिसे अकेला 'क्रियाविशेषण
  • पद' कर रहा था तो उसे 'क्रियाविशेषण पदबंध' कहते हैं।

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Chapterwise muhavre class 10


NOTES
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PRACTICE QUESTIONS COUSE B hindi    



 पद्य-भाग


1. कबीर


आपा खोना (अहंकार नष्ट करना) - भक्ति और अहंकार साथ-साथ नहीं चल सकते। ईश्वर को पाने के लिए आपा खोना ही पड़ता है।


अँधियारा मिटना (अज्ञान समाप्त होना) - महात्मा जी के अमृत वचन सुनकर मेरे सामने छाया सब अँधियारा मिट गया।


मंत्र लगना (उपाय काम आना) - पिता ने विवेकानंद को सांसारिक मार्ग पर चलाने के सारे उपाय किए, किंतु कोई भी मंत्र न लग सका।


घर जलाना (स्वयं को होम करना) - देशभक्ति के मार्ग पर चलने वाले क्रांतिकारियों को पहले अपना घर जलाना पड़ता है।


2. मीरा

लाज रखना (सम्मान की रक्षा करना)- इस बार ओलंपिक में एक स्वर्ण जीतकर हमारे निशानेबाज़ ने भारत की लाज रख ली


गद्य-भाग


227


1. बड़े भाई साहब (प्रेमचंद)


प्राण सूखना (डर लगना)-सामने शेर को दहाड़ता देखकर मेरे प्राण सूख गए। पहाड़ होना (बड़ी मुसीबत होना)-मंच पर खड़े होकर दो घंटे बोलना मेरे लिए पहाड़ था।


हँसी-खेल होना (छोटी-मोटी बात)- पूरे बोर्ड में प्रथम आना कोई हँसी-खेल नहीं है। आँख फोड़ना (बड़े ध्यान से पढ़ना) - मैं रात-भर पढ़-पढ़कर आँखें फोड़ता रहा और इधर परीक्षा स्थगित हो गई।


खून जलाना (कष्ट उठाना)-माता-पिता अपनी संतान को सुख-सुविधा देने के लिए दिन-रात खून जलाते हैं। पास फटकना (नजदीक जाना)- प्राचार्य महोदय का रौब इतना था कि कोई उनके पास तक नहीं फटक पाता था।


गाढ़ी कमाई (मेहनत की कमाई) कोई भी मनुष्य अपनी गाढ़ी कमाई को यूँ ही नहीं उड़ा सकता। लगती बात (चुभती हुई बात)- बड़े भाई साहब ऐसी-ऐसी लगती बातें कहते थे कि मन विचलित हो उठता था। जिगर के टुकड़े-टुकड़े होना (दिल पर भारी आघात लगना) - बम धमाकों में अपने पुत्र की मौत देखकर माँ का जिगर टुकड़े-टुकड़े हो गया।


हिम्मत टूटना (साहस सामप्त होना)- बच्चे की मृत्यु का समाचार सुनकर पिता की हिम्मत टूट गई।


जी तोड़ मेहनत करना (खूब परिश्रम करना) खेलों में प्रथम आने के लिए लड़के जी तोड़ मेहनत करते हैं। हाथ डालना (काम शुरू करना) वह बेचारा जिस भी काम में हाथ डालता है, उसी में घाटा होता है।


नक्शा बनाना (योजना बनाना)- मैंने रात-भर कल के कार्यक्रम के नक्शे बनाए। पर तुमने पल-भर में कार्यक्रम समाप्त कर दिया।


उड़ जाना (समाप्त होना)- भाई भोजन के सामान में से खीर कहाँ उड़ गई?


दबे पाँव आना (चोरी चोरी आना) आजकल सख्ती इतनी है कि सभी कर्मचारी दबे पाँव आते हैं।


प्राण निकलना (भयभीत होना) वार्षिक परीक्षा का नाम सुनकर नालायक छात्रों के प्राण निकल जाते हैं।


घुड़कियाँ खाना (डाँट-डपट सहना) भाई साहब! आप प्यार से समझाया करो। आपकी घुड़कियाँ खाना मेरे वश


में नहीं है।


आड़े हाथों लेना (खिंचाई करना, कठोरतापूर्ण व्यवहार करना) बम धमाकों में सरकार की ढिलाई देखकर मीडिया वालों ने मुख्यमंत्री को आड़े हाथों लिया।


जले पर नमक छिड़कना (दुखी को और दुखी करना) मंत्री जी की मक्कारी भरी बातों ने धमाकों से सहमे लोगों के जले पर नमक छिड़क दिया।


खून जलाना (बहुत मेहनत करना) - माता-पिता अपना खून जलाकर पैसे कमाते हैं और बेटा उनसे गुलछर्रे


उड़ाता है।


तीर मारना (बड़ी सफलता पाना) - आस्ट्रेलिया को एक बार हराकर भारतीय क्रिकेट टीम ऐसे खुश थी मानो उसने कोई तीर मार लिया हो। हेकड़ी जताना (घमंड दिखाना) - स्वयं को ऊँचा समझने वाले लोग हेकड़ी जताने से बाज नहीं आते।


तलवार खींचना (लड़ाई के लिए तैयार रहना) वह स्वभाव से इतना उग्र है कि बात-बात पर तलवार खींच लेता है।


टूट पड़ना (तेज़ी से झपटना)- जैसे ही भोजन शुरू हुआ, पूरी बारात खाने पर टूट पड़ी। दिमाग होना (घमंड होना)-जब से उसने स्कूल में प्रथम स्थान प्राप्त किया है, उसे दिमाग हो गया है।


नामोनिशान मिटाना (सब कुछ नष्ट करना) भारत की सरकार को चाहिए कि वह आतंकवादियों का नामोनिशान


मिटा डाले पानी देने वाला (कठिन समय में साथ देने वाला) - जो लोग दुनिया के साथ बुरा व्यवहार करते हैं. अंत में उन्हें कोई चुल्लू भर पानी देने वाला भी नहीं मिलता। बेईमानी करते रहे तो नौकरी के


दीन-दुनिया से जाना (कहीं का न रहना) अगर तुम इस तरह दीन-दुनिया से अमेड होगा)- जब से उसकी जमीन बिकी है और घर में पैसा आया है, उसका सिर फिर गया है। भी जाओगे। जिये के हाथ बटेर लगना (अयोग्य को कोई महत्त्वपूर्ण वस्तु मिलना)-उस अनपढ़ को इंजीनियर पली क्या साथ-साथ


मिली, अंधे के हाथ बटेर लग गई। हाथ लगना (प्राप्त होना)-बड़ी मुश्किल से नौकरी हाथ लगी है, इसे सँभाल कर रखना।


अंधा-चोट निशाना पड़ना (अचानक ही कोई चीज़ मिलना)- क्विज़ में प्रथम आया देख उसे बुद्धिमान न मान


बैठना। बस कभी-कभी अंधा-चोट निशाना पड़ जाता है। दाँतों पसीना आना (बहुत अधिक परेशानी उठाना) - शादी-ब्याह में इतने अधिक काम थे कि उन्हें निपटाते-निपटाते दाँतों पसीना आ गया।


लोहे के चने चबाना (बहुत कठिनाई उठाना)- एवरेस्ट चोटी पर चढ़ाई करना लोहे के चने चबाना है। चक्कर खाना (भ्रम में पड़ना) उसकी ऊटपटांग बातें सुनकर मैं चक्कर खा गया।


बे-सिर-पैर की बातें (बेकार की ऊटपटांग बातें) उसकी बे-सिर-पैर की बातें सुनते-सुनते मेरा माथा भन्ना गया। राह लेना (पीछा छोड़ना, चले जाना) कोई काम हो तो रुको, वरना राह लो।


पन्ने रँगना (बेकार में लिखना) अच्छे विद्यार्थी थोड़ा किंतु ठीक लिखते हैं। वे व्यर्थ में पन्ने नहीं रंगते। पापड़ बेलना (कठिन काम करना) सफलता पानी है तो सब प्रकार के पापड़ बेलने को तैयार रहो।


आटे-दाल का भाव मालूम होना (कठिनाई का सामना करना) कभी नौकरी ढूँढ़ने निकलोगे तो तभी आटे-दाल का भाव मालूम होगा।


जमीन पर पाँव न रखना (बहुत खुश होना) जिस दिन मुझे राष्ट्रीय पुरस्कार मिला, उस दिन मैं पाँव जमीन पर नहीं रख पा रहा था।


गिरह बाँधना (अच्छी तरह मन में बिठाना) यह बात गिरह बाँध लो कि आतंकवाद को कुचले बिना देश में शांति नहीं हो सकती।


प्राण ले लेना (मार डालना)- अब तक आतंकवादी कितने बेकसूर लोगों के प्राण ले चुके हैं।


हाथ से न जाने देना (चूकना) यह सुनहरा मौका हाथ से न जाने देना।


शब्द चाटना (अच्छी तरह पढ़ना)- मुझे प्रथम आने का शौक इतना था कि मैं पुस्तक का एक-एक शब्द चाट जाता था।


मुठभेड़ होना (सामना होना, कलह होना)- यदि कभी मेरी उससे मुठभेड़ हुई तो मैं उसे नाकों चने चबवा दूँगा। हाथ-पाँव फूल जाना (परेशानी देखकर घबरा जाना)- गुंडों के हाथों में बंदूकें देखकर उसके हाथ-पाँव फूल गए। वैसे पैसे को मुहताज होना (बहुत गरीब और मजबूर होना)- अमिताभ बच्क का क जना देब गई तो वे पैसे पैसे


मुँह चुराना (शर्म के मारे बचना)-उधार लेने के बाद प्रायः उधार लेने वाला अपने ऋणदाता से मुँह चुराने लगता है। हाथों में लेना (काम का जिम्मा लेना)- जब से मैंने यह धंधा हाथों में लिया है. मेरी चाँदी हो गई है।


जहर लगना (बहुत बुरा लगना)- डाँट खाने वाले बच्चे को डाँट का एक-एक शब्द जहर लगता है। नत-मस्तक होना (सिर झुकाकर मानना) लेखक बड़े भाई की एक-एक तरकीब के सामने नत-मस्तक हो जाता था। जी ललचाना (मन में लालच आना) क्या करूँ, इतनी सारी मिठाइयाँ देखकर मेरा जी ललचा उठता है।


3. तताँरा-वामीरो कथा


सुध-बुध खोना (अपने वश में न रहना) तताँरा वामीरो की सुंदरता को देखकर सुध-बुध खो बैठा।


बाट जोहना (प्रतीक्षा करना) - भारतवासी ऐसी सरकार की बाट जोह रहे हैं जो आतंकवाद को कुचल कर रख दे।


आँखों में तैरना (मन में प्रकट होना) एकांत क्षणों में सारी बीती बातें आँखों में तैरने लगती हैं।


खुशी का ठिकाना न रहना (बहुत अधिक खुश होना)-20-20 क्रिकेट का वर्ल्ड कप जीतने पर देशवासियों की खुशी का ठिकाना न रहा।


आग बबूला होना (बहुत क्रोध में आना) बच्चों की नारेबाजी सुनकर प्राचार्य महोदय आग बबूला हो गए। राह न सूझना (उपाय न मिलना) चारों ओर आग से घिर जाने पर मैं ऐसा घबराया कि मुझे कोई राह न सूझी। सुराग न मिलना (पता न मिलना) यह तो मोदी सरकार ही थी जिसने आतंकवादियों को कुछ ही दिनों में पकड़ लिया। वरना शेष सरकारों को तो बरसों तक आतंकवादियों के सुराग भी नहीं मिलते।


6. अब कहाँ दूसरे के दुख से दुखी होने वाले दीवार खड़ी करना (बाधा उत्पन्न करना) तू मित्र है या शत्रु? जहाँ भी जाता हूँ, वहीं मेरे सामने दीवार खड़ी कर देता है।


डेरा डालना (स्थायी रूप से रहना)- ये अपराधी यूँ ही पकड़ में नहीं आते महीनों-महीनों इनकी राह में डेरा डाले बैठना पड़ता है।